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Dehradun:- युवाओं के लिए खुशखबरी, सहकारी बैंकों में शीघ्र होंगी बंपर भर्ती

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देहरादून – उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। प्रदेश के सहकारी बैंकों में लंबे समय से खाली चल रहे पदों पर अब शीघ्र भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भर्ती प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है कि इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस) के माध्यम से यह प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए और भर्ती विज्ञापन शीघ्र जारी किया जाए।

राज्य के सहकारी विभाग के अधीन जिला सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंक में कुल 177 रिक्त पदों को भरने के लिए यह भर्ती अभियान चलाया जा रहा है। इसमें वरिष्ठ शाखा प्रबंधक (वर्ग-1) के 8, कनिष्ठ शाखा प्रबंधक (वर्ग-2) के 65 और लिपिक/कैशियर (वर्ग-3) के 104 पद शामिल हैं। इस भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिष्ठित संस्था आईबीपीएस को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो देशभर में राष्ट्रीयकृत बैंकों की भर्ती प्रक्रिया का संचालन करती है।

मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने सहकारी बैंकों में भी आईबीपीएस के माध्यम से चयन प्रक्रिया को अपनाया है, जिससे योग्य उम्मीदवारों को बिना किसी भेदभाव के रोजगार का अवसर मिल सके। इससे पूर्व भी राज्य में दो सफल पारदर्शी भर्तियां इसी संस्था के माध्यम से कराई जा चुकी हैं।

उन्होंने बताया कि भर्ती का मुख्य उद्देश्य सहकारी बैंकों में रिक्तियों को भरकर उनकी कार्यक्षमता में इजाफा करना है। वर्तमान में प्रदेश के अधिकांश सहकारी बैंक लाभ की स्थिति में हैं और एनपीए की दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। बैंकिंग सेवाओं का दायरा तेजी से बढ़ा है, प्रदेश में कई नए एटीएम लगाए गए हैं, चारधाम यात्रा मार्ग और पर्यटक स्थलों पर मोबाइल एटीएम वैन चलाई जा रही हैं। इसके अलावा नेट बैंकिंग जैसी सुविधाएं भी अब सहकारी बैंकों में उपलब्ध हैं।

सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा कि सहकारी बैंकिंग को ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक सशक्त बनाया जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं को सरल दरों पर ऋण और अन्य वित्तीय सुविधाएं मिल सकें। विभिन्न सहकारी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने में इन बैंकों की भूमिका अहम है और इस भर्ती के जरिए इन सेवाओं को और अधिक विस्तार मिलेगा। डॉ. रावत ने उम्मीद जताई कि यह भर्ती न केवल युवाओं के लिए रोजगार का अवसर होगी बल्कि सहकारी बैंकिंग व्यवस्था को और अधिक मजबूत, आधुनिक और भरोसेमंद बनाएगी।

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