उत्तरकाशी पत्रकार की रहस्यमयी मौत से हल्द्वानी में उबाल, पत्रकार बोले—सत्य की आवाज़ को दबाने की साज़िश


हल्द्वानी – उत्तरकाशी जिले के स्वतंत्र और निर्भीक डिजिटल मीडिया पत्रकार राजीव प्रताप की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने समूचे पत्रकार समुदाय को झकझोर कर रख दिया है।
बीते दस दिनों से लापता राजीव प्रताप का शव जोशीयाड़ा बैराज में मिला, जिससे मामले ने एक रहस्यमयी और गंभीर मोड़ ले लिया है। पत्रकार संगठनों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश और चिंता व्याप्त है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजीव प्रताप 10 दिन पूर्व अचानक लापता हो गए थे। जिस वाहन से वह निकले थे, वह अगली सुबह स्यूणा गांव के पास संदिग्ध अवस्था में बरामद हुआ, लेकिन राजीव का कहीं पता नहीं चल पाया। अब उनका शव मिलने के बाद यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या यह दुर्घटना थी या पूर्व नियोजित साजिश??
राजीव प्रताप बीते कुछ वर्षों से सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे। उनके द्वारा कई संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग की गई थी, जिससे कई प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता उजागर हुई थी। ऐसे में यह आशंका गहराती जा रही है कि उनकी मृत्यु सुनियोजित साजिश तो नही????
राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग—–
हल्द्वानी में पत्रकारों ने मामले की एसआईटी, सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की है। हल्द्वानी में बड़ी संख्या में पत्रकारों ने सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और दोषियों की शीघ्र गिरफ्तारी तथा पत्रकारों की सुरक्षा हेतु ठोस नीति बनाए जाने की मांग की।
पत्रकारों में भारी रोष, कई सवाल अनुत्तरित—–
क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ सच बोलना राजीव प्रताप को भारी पड़ गया? क्यों दस दिन तक राजीव की तलाश में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए?
आखिरकार उनका शव बैराज में कैसे मिला और कार दूसरी जगह क्यों पाई गई?
इस पूरे मामले में किन लोगों की भूमिका संदिग्ध है?
इन सवालों का जवाब सिर्फ एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच ही दे सकती है।
यह घटना न सिर्फ एक पत्रकार की मौत है, बल्कि सत्य की आवाज़ को दबाने का प्रयास प्रतीत होती है।
यदि यह साजिश है, तो यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
ऐसे में राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर गंभीरता से लेकर दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ा दिलाए।


