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शरीयत और मजहब के विरुद्ध कोई भी कानून मंजूर नहीं,उत्तराखंड में (UUC) कानून लागू होने पर भड़के जमीयतुल उलेमा ए हिंद के चैयरमेन अरशद मदनी

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उत्तराखंड राज्य में बीते सोमवार को सम्मान नागरिक संहिता यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड यूसीसी लागू हो गया है, जिसके बाद यह बड़ा फैसला लेने वाला उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य बन गया है, वहीं दूसरी तरफ जमीयत उलेमा ए हिंद ने इसका पुरजोर विरोध किया है और इसे अदालत में चुनौती देंगे का ऐलान कर दिया है, हिंद के चैयरमेन मौलाना अरशद मदनी ने इस कानून को लेकर कहा कि शरीयत और मजहब के विरुद्ध कोई भी कानून बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, उन्होंने बड़े सवाल उठते कहा कि अगर अनुसूचित जनजातियों को संविधान विधेयक से छूट दी जा सकती हैं तो मुसलमानो को यह छूट क्यों नहीं दी जा सकती हैं,समान नागरिक संहिता के नाम पर भेदभाव क्यों किया जा रहा है? मदनी ने कहा कि यह कानून नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर बड़ा हमला करने वाला है और पूरी तरह पक्षपातपूर्ण ढंग है, मदनी ने खुलकर कहा कि कोई भी ऐसा कानून मंजूर नहीं है जो शरीयत के विरुद्ध है, क्योंकि मुसलमान हर चीज से समझौता कर सकता है लेकिन अपनी शरीयत से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता कानून में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 खंड 25 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है और तर्क दिया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत उन के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई है जमीयत ने ऐलान किया है कि वे उत्तराखंड में यूसीसी के लागू होने के फैसले के विरुद्ध नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

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Mohd Uves

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