Dehradun:-संस्कृत भाषा को उत्तराखंड मे रोजगार से जोड़ने की महत्वपूर्ण पहल – पढ़े बड़ी ख़बर


देहरादून – सचिवालय- उत्तराखंड सरकार संस्कृत भाषा को न केवल सांस्कृतिक पहचान के रूप में संरक्षित करना चाहती है, बल्कि इसे युवाओं के लिए रोजगार का जरिया भी बनाना चाहती है। इसी उद्देश्य से उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की महासमिति की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ऋषि-मुनियों, योग और आयुष की भूमि रही है, जहां संस्कृत भाषा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाने और युवाओं को संस्कृत के माध्यम से रोजगार से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत बताई।
प्रमुख घोषणाएं और योजनाएं:
मुख्यमंत्री ने कहा कि यज्ञ, कर्मकांड और वेदों में सर्टिफिकेट कोर्स की व्यवस्था की जाए, ताकि संस्कृत पढ़ने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें।
संस्कृत के छात्रों को भारतीय संस्कृति के 16 संस्कारों का व्यवहारिक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी। पहले चरण में 100 छात्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा और हर साल लक्ष्य निर्धारित कर युवाओं को इस योजना से जोड़ा जाएगा।
संस्कृत भाषा के शिक्षण, लेखन और संरक्षण में योगदान देने वालों को हर साल मानदेय देकर सम्मानित किया जाएगा।
स्कूलों और कॉलेजों में गतिविधियां: संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए वाद-विवाद, निबंध लेखन, श्लोक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। सभी सरकारी कार्यालयों में संस्कृत भाषा में नेमप्लेट भी अनिवार्य की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि जिन राज्यों में संस्कृत को लेकर बेहतर काम हुआ है, वहां की ‘बेस्ट प्रैक्टिस’ का उत्तराखंड में अध्ययन कर उसे लागू किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत संस्कृत को शिक्षा व्यवस्था में प्रभावी रूप से शामिल किया जाए।
संस्कृत ग्राम और छात्रवृत्ति योजना
संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले में एक गांव को संस्कृत ग्राम घोषित किया जा रहा है, कुल 13 गांवों में यह योजना शुरू की गई है और इसे ब्लॉक स्तर तक विस्तारित किया जाएगा। इसके साथ ही संस्कृत के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना और पुजारियों के लिए प्रोत्साहन योजना लागू करने का सुझाव दिया गया।
संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण और वेद अध्ययन केंद्र:
राज्य सरकार की योजना संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने की है। इसके लिए 1 लाख लोगों को ऑनलाइन और ऑफलाइन सरल संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, वेदों के गहन अध्ययन के लिए वेद अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
अन्य पहल:
उत्कृष्ट कार्य के लिए संस्कृत विद्यालयों को पुरस्कृत किया जाएगा।
समसामयिक विषयों पर संस्कृत में लघु फिल्में बनाने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
देश-विदेश की संस्कृत संस्थाओं के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
श्रद्धांजलि अर्पित:
बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
इस बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, प्रमुख सचिव न्याय श्री प्रदीप पंत, सचिव श्री वी. षणमुगम, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, अपर सचिव श्री ललित महान रयाल सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे। सचिव संस्कृत शिक्षा श्री दीपक कुमार ने राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने की योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।